रांची। झारखंड में अब पानी में डूबने से होने वाली मौतों को स्थानीय आपदा की सूची में शामिल कर लिया गया है। साथ ही, इसके लिए मुआवजा तय कर दिया गया है। अब यहां मृतक के आश्रितों को चार लाख रुपए का मुआवजा मिलेगा।
राज्य सरकार ने नाव दुर्घटना, नदी, डोभा और जलप्रपात में डूबने पर मुआवजा देने का निर्णय लिया है। इससे अब कुआं, तालाब या नाले में डूबने पर भी आश्रित को मुआवजा मिलेगा।
आत्महत्या के मामलों में नहीं मिलेगा मुआवजा
मुआवजे की राशि केंद्रीय गृह मंत्रालय के आपदा प्रबंधन प्रभाग के मापदंड के अनुसार दी जाएगी। हालांकि पानी में कूदकर आत्महत्या करने के मामले में यह लागू नहीं होगा। ऐसे लोगों के आश्रितों को किसी प्रकार का मुआवजा नहीं दिया जाएगा।
अब कुआं-तालाब में डूबने से मौत भी आपदा
बता दें कि झारखंड सरकार ने 25 अक्टूबर 2018 को स्थानीय आपदा से होने वाली मौतों पर मुआवजा देने का प्रावधान किया था।
स्थानीय आपदा की श्रेणी में अतिवृष्टि, सर्पदंश, खनन जनित आपदा, रेडिएशन, नाव हादसा, नदी, डोभा, डैम और वाटर फॅाल में डूबने, भगदड़ और गैस रिसाव से हुए जान-माल की क्षति को शामिल किया था।
अब कुआं-तालाब में डूबने से होने वाली मौतों को भी इसमें शामिल कर लिया गया है।
कई राज्यों में है यह व्यवस्था
पड़ोसी राज्य बिहार, बंगाल और उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में यह व्यवस्था पहले से लागू है। करीब सात माह पहले झारखंड में इसकी तैयारी शुरू हुई थी।
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा था कि आपदा प्रबंधन विभाग ने इन राज्यों से उनके यहां लागू प्रावधानों की जानकारी मांगी मांगी है।
वहां से दस्तावेज मिलने के बाद उन राज्यों की व्यवस्थाओं की समीक्षा की गई। फिर सरकार ने यह फैसला लिया।
अब 10 हजार से ज्यादा मौत झारखंड में बड़ी संख्या में नदी-नाले, झील, तालाब, बांध, डैम और पोखर आदि हैं। यही मुख्य पर्यटन स्थल भी है। झारखंड ही नहीं, दूसरे राज्यो के लोग भी यहां डैम और वाटर फॅाल आदि में घूमने आते हैं।
एक अनुमान के अनुसार राज्य गठन के बाद से अब तक करीब 10 हजार लोगों की डूबने से मौत हौ चुकी है। हर साल मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। इसी को देखते हुए मुआवजे की लंबे समय से मांग उठ रही थी।