बीजींग, एजेंसियां। दुनिया की दूसरी बड़ी इकॉनमी वाले देश चीन की पहली तिमाही के आंकड़े आ गए हैं।
जनवरी-मार्च तिमाही में चीन की इकॉनमी 5.3% की रफ्तार से बढ़ी जो अनुमानों से बेहतर है।
रॉयटर्स द्वारा एनालिस्ट्स के बीच कराए गए एक पोल के मुताबिक चीन की इकॉनमी के पहली तिमाही में 4.6% की स्पीड से बढ़ने की उम्मीद जताई गई थी।
पिछली तिमाही में चीन की इकॉनमी की ग्रोथ 5.2 फीसदी थी। चीन सरकार का लक्ष्य 2024 में इकनॉमिक ग्रोथ पांच फीसदी के आसपास रखने का है।
विशेषज्ञों के मुताबिक यह टारगेट महत्वाकांक्षी है और इसके लिए ज्यादा स्टीम्यूलस की जरूरत होगी।
चीन की इकॉनमी इस समय कई मोर्चों पर संघर्ष कर रही है। ऐसे में पहली तिमाही में इकॉनमी का उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन पॉलिसीमेकर्स के लिए अच्छी खबर है।
कोरोना काल के बाद चीन की इकॉनमी पटरी पर लौटने के लिए संघर्ष कर रही है। देश का रियल एस्टेट संकट लगातार गहराता जा रहा है।
लोकल गवर्नमेंट का कर्ज बढ़ रहा है और प्राइवेट सेक्टर खर्च नहीं कर रहा है। मंदी की आशंका में लोग पैसे खर्च करने के बजाय बचाने में लगे हैं।
इस कारण खपत में सुस्ती है। चीन की जीडीपी में रियल एस्टेट की करीब एक तिहाई हिस्सेदारी है। इस संकट के कारण पूरी इकॉनमी के डूबने का खतरा पैदा हो गया है।
अमेरिका के साथ चीन का तनाव चरम पर है। कई विदेशी कंपनियां चीन से अपना बोरिया बिस्तर समेट रही हैं।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग देश की इकॉनमी पर सरकार की पकड़ को मजबूत करना चाहते हैं। इस कारण निजी कंपनियों पर सख्ती की जा रही है।
इस साल टेक्नोलॉजी, फाइनेंस और रियल एस्टेट सेक्टर के एक दर्जन से अधिक अधिकारी मिसिंग हैं, हिरासत में हैं या उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले चल रहे हैं।
इंटरनेशनल कंसल्टिंग कंपनियों पर भी इसका असर दिख रहा है। कई कंपनियां तो चीन में अपना बिजनेस बंद कर रही हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर विदेशी कंपनियों पर भी सख्ती की जा रही है। हाल में फिच रेटिंग ने चीन की क्रेडिट रेटिंग को डाउनग्रेड कर दिया था।
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