नई दिल्ली, एजेंसियां। जॉर्जिया के गुडौरी में एक रिसॉर्ट में 11 भारतीय नागरिकों की मौत की घटना ने सभी को हिलाकर रख दिया है। मौत का कारण कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) गैस को बताया गया है, जो एक जानलेवा साइलेंट किलर साबित होती है। यह गैस बिना रंग, गंध और स्वाद के होती है, जिससे इसे पहचान पाना मुश्किल हो जाता है। यह गैस जब शरीर में प्रवेश करती है तो खून में ऑक्सीजन के स्तर को घटा देती है, जिससे अंगों को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती और व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है।
क्या है कार्बन मोनोऑक्साइड और क्यों है ये खतरनाक?
कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) एक गंधहीन और रंगहीन गैस है, जो सांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश करती है और खून में ऑक्सीजन ले जाने वाले हीमोग्लोबिन से जुड़ जाती है। इससे खून में ऑक्सीजन का स्तर घटने लगता है और शरीर के अंगों को सही ढंग से काम करने के लिए आवश्यक ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। इसके असर से व्यक्ति को सिरदर्द, चक्कर, उलझन, थकान जैसी समस्याएं हो सकती हैं और गंभीर मामलों में मौत भी हो सकती है। खासकर, जब यह गैस बंद जगहों पर उत्पन्न होती है, जैसे जनरेटर या फ्यूल उपकरणों से।
क्यों नहीं पहचाना जा सकता कार्बन मोनोऑक्साइड को?
कार्बन मोनोऑक्साइड को न तो देखा जा सकता है, न सूंघा जा सकता है, और न ही चखा जा सकता है। इसकी गंध न होने के कारण यह बहुत अधिक खतरनाक हो जाती है। सामान्य गैसों में गंध होती है ताकि हम उन्हें पहचान सकें, लेकिन CO में यह विशेषता नहीं होती। इसके प्रभाव का पता तब चलता है जब इसकी सांद्रता बहुत बढ़ जाती है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
सर्दियों में क्यों बढ़ जाती है कार्बन मोनोऑक्साइड की घटनाएं?
सर्दियों में लोग गर्म रहने के लिए हीटर, अंगीठी और अन्य कार्बन उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे कार्बन मोनोऑक्साइड गैस का खतरा बढ़ जाता है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, खासकर सर्दियों में ऐसी घटनाएं अधिक होती हैं, जब लोग बंद कमरे में हीटर या अंगीठी का इस्तेमाल करते हैं, और इसके परिणामस्वरूप CO गैस का उत्पादन होता है।
पर्यावरण पर प्रभाव
हालांकि, कार्बन मोनोऑक्साइड का सीधा असर पर्यावरण पर नहीं पड़ता, लेकिन यह अप्रत्यक्ष रूप से क्लाइमेट चेंज को प्रभावित करता है। CO गैस वायुमंडल में रासायनिक प्रतिक्रियाएं उत्पन्न करती है, जो ओजोन गैस का निर्माण करती हैं, जो जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार है।
इस घटना ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि कार्बन मोनोऑक्साइड गैस कितनी खतरनाक हो सकती है और इसके प्रति जागरूकता कितनी जरूरी है।
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