नई दिल्ली, एजेंसियां। लोकसभा चुनाव के ठीक पहले देशभर में सीएए यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू कर दिया गया है।
सोमवार की शाम केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी। इसे लेकर पीएम मोदी ने बड़ा एलान कर दिया है।
उन्होंने कहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले सीएए देश में लागू हुआ है। इसको लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है।
CAA यानी सिटीजन एमेंडमेंट एक्ट, केंद सरकार का तर्क है कि इसके जरिए पड़ोसी मुल्कों से भारत में शरण लेने वाले गैर मुस्लिम समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता दी जायेगी।
भारत के 3 पडोसी देश अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में प्रताड़ित हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और इसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता दी जायेगी।
बीते 10 फरवरी को गृहमंत्री अमित शाह ने ऐलान किया था कि लोकसभा चुनाव से पहले CAA लागू कर दिया जाएगा।
शाह ने कहा था कि CAA देश का एक्ट है, इसे हम यकीनन नोटिफाई करेंगे। सोमवार को जारी अधिसूचना में कहा गया है कि मुस्लिम बहुल देश अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और इसाई समुदाय के लोगों को प्रताड़ित किया जाता है।
वे दूसरे देशों से भागकर यहां शरण लेने को विवश हैं और इसलिए हम उनको भारत की नागरिकता देंगे।
सीएए, भारत की नागरिकता देने का कानून है न कि किसी की नागरिकता छीनने का। केंद्र सरकार ने कहा कि मानवतावादी दृष्टिकोण के तहत यह फैसला किया गया है।
बता दें कि वर्ष 2020 में जब संसद में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी पर चर्चा शुरू हुई थी तो देशभर में मुस्लिम समुदाय सहित कई अन्य सामाजिक संगठनों ने इसका विरोध किया था।
दिल्ली का शाहीनबाग, सीएए विरोधी कानून के खिलाफ संघर्ष का परिचायक बन गया था। पूरे देश में इसका विरोध हुआ था।
हालांकि, केंद्र सरकार हमेशा कहती रही कि यह नागरिकता देने का कानून है। कानून के जरिये किसी की नागरिकता नहीं छीनी जायेगी।
सीएए का विरोध सबसे ज्यादा मुसलमान कर रहे हैं। दरअसल, इस कानून में इन तीन देशों से आए मुसलमानों को नागरिकता देने से बाहर रखा गया है।
कई आलोचकों का मानना है कि इस कानून से मुसलमानों से भेदभाव हो रहा है और ये भारत में समानता की संवैधानिक गारंटी का उल्लंघन करता है।
उन्हें यह भी डर है कि इससे कुछ क्षेत्रों, विशेषकर पूर्वोत्तर में और अधिक प्रवासन और जनसांख्यिकीय बदलाव हो सकते हैं।
सरकार का यह मानना है कि सीएए केवल मुस्लिम-बहुल देशों के सताए हुए अल्पसंख्यकों के लिए नागरिकता प्रदान करता है, जहां धार्मिक उत्पीड़न की संभावना अधिक है।
भारत के मुस्लिमों या किसी भी धर्म और समुदाय के लोगों की नागरिकता को इस कानून से कोई खतरा नहीं है।
सरकार का कहना है कि इन देशों में हिंदुओं से भेदभाव होता है न कि मुस्लिमों से, इसलिए इसमें मुस्लिमों को बाहर रखा गया है।
क्या CAA संवैधानिक है?
भारतीय संसद में CAA को वर्ष 2019 में 11 दिसंबर को पारित किया गया था, जिसमें 125 वोट इसके पक्ष में पड़े थे और 105 वोट इसके खिलाफ थे। राष्ट्रपति ने इस विधेयक को 12 दिसंबर को मंजूरी दे दी थी।
पूर्वोत्तर में सीएए को लेकर क्यो विरोध?
पूर्वोत्तर के कुछ संगठनों का मानना है कि इस कानून से बिना दस्तावेज वाले हिंदू प्रवासियों को नागरिकता मिलेगी, जिससे उनकी जनसांख्यिकी बदल सकती है और संभावित रूप से उनके राजनीतिक अधिकारों, संस्कृति और भूमि अधिकारों पर असर पड़ सकता है।
कैसे होगा नागरिकता के लिए आवेदन?
सीएए के तहत नागरिकता पाने का आवेदन ऑनलाइन ही होगा। इसे लेकर एक ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार किया गया है।
आवेदकों को नागरिकता पाने के लिए अपना वह साल बताना होगा जब वो भारत में आए थे। आवेदक से किसी तरह का कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा।
नागरिकता से जुड़े जितने भी मामले लंबित उन सबको ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिया जाएगा। आवेदन करने के बाद गृह मंत्रालय आवेदन की जांच करेगा और आवेदक को नागरिकता दी जाएगी।
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