रांची। ताजा खबर है कि भाजपा के प्रदेश महामंत्री आदित्य साहू ने धनबाद विधायक राज सिन्हा और विधानसभा क्षेत्र के पांच मंडल अध्यक्षों को शो-कॉज जारी किया है।
इसमें कहा गया है कि जब से धनबाद लोकसभा क्षेत्र से ढुल्लू महतो को प्रत्याशी घोषित किया गया है, सांगठनिक कार्य और चुनाव कार्य में उनकी रुचि नहीं दिख रही है।
क्षेत्र में उनकी ओर से पार्टी के खिलाफ नकारात्मक बातें बोली जा रही है। इससे जनता के बीच गलत संदेश जा जा रहा है।
इस कारण बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के निर्देशानुसार शो-कॉज नोटिस गया है।
राज सिन्हा को दो दिनों के अंदर स्पष्टीकरण देने को कहा गया है कि क्यों नहीं उन्हें पार्टी की सदस्यता से निलंबित किया जाए।
दूसरी खबर हजारीबाग से है। यहां निवर्तमान सांसद जयंत सिन्हा को पार्टी ने शो-काज जारी किया है।
नोटिस जारी करते हुए कहा गया है कि लोकसभा चुनाव 2024 में हजारीबाग संसदीय क्षेत्र से पार्टी की ओर से मनीष जायसवाल को प्रत्याशी घोषित किया गया।
लेकिन इसके बावजूद वो न तो चुनाव प्रचार-प्रसार और न ही संगठनात्मक कार्य में रुचि ले रहे हैं।
इतना ही नहीं, उन्होंने वोट डालना भी उचित नहीं समझा। जयंत सिन्हा के इस रवैये से पार्टी की छवि धूमिल हुई है। जयंत सिन्हा से भी दो दिन में स्पष्टीकरण मांगा गया है।
तीसरी खबर जमशेदपुर से है। यहां बीजेपी के कुणाल षाड़ंगी ने अपना पद छोड़ने की घोषणा कर दी है।
इससे संबंधित पत्र भी उन्होंने प्रदेश महामंत्री को भेज दिया है। इतना ही नहीं, वह भी चुनाव प्रचार में सक्रिय नजर नहीं आ रहे हैं।
ये तीनों खबरे बीजेपी की सेहत के लिए अच्छी नहीं हैं। इसका असर कहीं न कहीं चुनाव पर पड़ा है और पड़ने जा रहा है।
बात सिर्फ इन तीन सीटों की ही नहीं है। गिरिडीह में रवींद्र पांडेय अलग ही पार्टी से नाराज चल रहे हैं।
वहीं दुमका में निवर्तमान सांसद सुनील सोरेन भी लोकसभा चुनाव का टिकट वापस लिये जाने से खुश नहीं हैं।
वहीं, धनबाद में निवर्तमान सांसद पीएन सिंह भी टिकट छिन जाने की वजह से अलग-थलग पड़े हुए हैं।
चुनावी कार्यों में इनकी सक्रियता नहीं दिख रही है। साथ ही गिरिडीह में रवींद्र पांडेय भी अपने आप में सिमटे हुए हैं।
कुछ ऐसा ही लोहरदगा में भी देखने को मिला, जहां निवर्तमान सांसद सुदर्शन भगत इस चुनाव में सक्रिय नहीं दिखे।
उनका टिकट काट कर बीजेपी ने समीर उरांव को अपना प्रत्याशी बनाया है। इन सभी की नाराजगी की एक ही वजह है लोकसभा चुनाव का टिकट कट जाना।
ये नाराज नेता पार्टी की गतिविधियों में रुचि नहीं ले रहे हैं। ये प्रचार कार्यों से भी दूर हैं। जाहिर इसका असर चुनाव पर पड़ रहा है।
निष्ठा की बात करें, तो तमाम नेता भले ही समाज सेवा और पार्टी के प्रति समर्पण की बात कहें, पर चुनाव का टिकट कटते ही सारा समर्पण समाप्त हो जाता है।
इनमें से कुछ के बारे में तो ये भी सूचना है कि अंदर ही अंदर वे विरोधियों को हवा देते रहे हैं। ये भीतरघात बीजेपी को भारी पड़ सकती है।
अपनो की नाराजगी किसी के लिए अच्छी नहीं होती और ये तो चुनाव है। बिना एकजुटता के चुनाव में जीत आसान नहीं।
सबके समर्पण भाव से किये गये प्रयास से ही सफलता मिलती है। ऐसा नहीं है कि बीजेपी भी इसे समझ नहीं रही है।
पार्टी की चिंता फिलहाल धनबाद और दुमका को लेकर है। धनबाद में बीजेपी से बागी होकर निर्दलीय विधायक बने सरयू राय अलग ही झंडा गाड़े हुए हैं कि बीजेपी प्रत्याशी को चित किया जाये।
उधर भाजपा विधायक राज सिन्हा बगावती तेवर दिखा रहे हैं। पीएन सिंह अलग नाराज हैं। ऐसे में इन दिग्गजों के मुंह मोड़ने का असर तो बीजेपी पर पड़ेगा ही।
साथ ही इन जगहों पर पार्टी में टूट का खतरा भी मंडरा रहा है। इससे बचने के लिए ही बीजेपी अब कार्रवाई के मूड में दिख रही है और ताबड़तोड़ एक्शन लिय़े जा रहे हैं।
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