BJP:
रांची। सदस्यता अभियान में झारखंड प्रदेश भाजपा लक्ष्य से काफी पीछे रह गई है। पार्टी को 50 लाख नये सदस्य बनाने थे, लकिन 15 लाख बनाना भी मुश्किल हो रहा है।
BJP: सदस्यता अभियान अंतिम चरण मेः
झारखंड बीजेपी का सदस्यता अभियान अंतिम चरण में है। सदस्यता प्रभारी राकेश प्रसाद के अनुसार सत्यापन का काम बाकी है। अगले एक सप्ताह में सदस्यता अभियान का काम पूरा हो जाएगा। उनका कहना है कि इस बार सदस्य बनने के लिए फॉर्म भरने की प्रक्रिया के कारण थोड़ा विलंब हो रहा है। लेकिन, सच्चाई कुछ और ही है। लक्ष्य के विरुद्ध एक तिहाई सदस्य बना पाना भी प्रदेश भाजपा के लिए मुश्किल हो रहा है। जानकारी के अनुसार सदस्यता अभियान के प्रारंभ में झारखंड को 60 लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य दिया गया था। लेकिन 60 लाख की संख्या को बहुत अधिक बता कर इसे 50 लाख तक कम कराया गया। लेकिन, इस बार मुश्किल से 15-16 लाख सदस्य बन पाने की ही उम्मीद है।
पिछली बार मिस्ड कॉल से बने थे सदस्यः
जानकारी के अनुसार पिछली बार मिस्ड कॉल के आधार पर पार्टी ने सदस्य बनाया था। कोई भी व्यक्ति अपने मोबाइल से तय नंबर पर मिस्ड कॉल करता था और वह भाजपा का सदस्य बन जाता था। लेकिन, इस तरकीब से सदस्य बनाये जाने की प्रक्रिया को दुरुस्त नहीं माना गया। इस बार सदस्य बनाने की नयी प्रक्रिया तय की गयी। इसमें सदस्य बननेवाले को बजाप्ता अपनी पूरी जानकारी देनी होती है। उन्हें नाम-पता के अलावा विधानसभा क्षेत्र से लेकर बूथ नंबर तक की जानकारी देनी होती है। भले ही यह दुरुह प्रक्रिया मानी जा रही है, लेकिन इसे दुरुस्त भी माना जा रहा है।
सदस्यता अभियान में कमी के कई कारणः
विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के कारण आम मतदाताओं का रुझान भाजपा के प्रति कम हो गया है। आम आदमी अब भाजपा के संगठनात्मक सोच और विचार पर गौर कर रही है। अच्छा प्रदर्शन करने के कारण झारखंड में मतदाताओं के एक वर्ग का झुकाव झामुमो की ओर भी हुआ है। यही स्थिति महाराष्ट्र में है। महाराष्ट्र में भाजपा की जीत के कारण वहां आम मतदाता पार्टी से जुड़ने को उत्सुक दिखे। यही कारण है महाराष्ट्र में भाजपा ने सदस्य बनाने के अपने लक्ष्य को प्राप्त किया है। वैसे प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो पाना, अब तक मंडल और जिलाध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाने के कारण भी उदासीनता बतायी जा रही है।
आगे बढ़ कर पार्टी के नेता सदस्यता अभियान को आगे बढ़ाने का लीडरशिप नहीं ले रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि भविष्य में वह मंडल अध्यक्ष या जिलाध्यक्ष बनेंगे या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं। इसलिए अभी सदस्यता अभियान के लिए पसीना बहाना फालतू काम है। सदस्यता अभियान की विफलता ने भाजपा की टेंशन बढ़ा दी है।
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