Vijay Khemka:
पूर्णिया, एजेंसियां। पूर्णिया विधानसभा सीट पर बिहार चुनाव 2025 में सियासी रंगत और भी तीव्र हो गई है। कांग्रेस ने अपनी दूसरी सूची में जदयू से निष्कासित नेता और पूर्व प्रदेश महासचिव जितेंद्र यादव को उम्मीदवार घोषित किया है। यादव का राजनीतिक करियर जदयू में मजबूत रहा है, लेकिन पप्पू यादव से करीबी संबंध के आरोपों के चलते उन्हें पार्टी से बाहर किया गया था। उनकी पत्नी विभा कुमारी पूर्णिया नगर निगम की मेयर हैं, जिससे यादव का स्थानीय स्तर पर जनाधार मजबूत माना जाता है।
बीजेपी ने अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखते हुए सिटिंग विधायक विजय कुमार खेमका को फिर से उम्मीदवार बनाया है। खेमका ने पिछली दो बार कांग्रेस की उम्मीदवार इंदु सिन्हा को भारी मत अंतर से हराया है। इस बार कांग्रेस ने इंदु सिन्हा की जगह जितेंद्र यादव को मैदान में उतारकर रणनीतिक बदलाव किया है, जो पार्टी की सीमांचल में पकड़ मजबूत करने की कोशिश माना जा रहा है।
पूर्णिया सीट का चुनाव सिर्फ दो प्रमुख दलों के बीच नहीं बल्कि स्थानीय समीकरण, जातीय गणित और पुराने राजनीतिक रिश्तों पर भी निर्भर करेगा। पप्पू यादव का अप्रत्यक्ष प्रभाव और दिवाकर यादव से जुड़े स्थानीय संघर्ष इस सीट की चुनावी स्थिति को और पेचीदा बना रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस ने जितेंद्र यादव को ‘मैसेजिंग कैंडिडेट’ के रूप में मैदान में उतारा है, ताकि सीमांचल में पार्टी की नई रणनीति को परखा जा सके। इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है — एक ओर बीजेपी का मजबूत किला, दूसरी ओर कांग्रेस का नया चेहरा, और तीसरी ओर पप्पू यादव का प्रभाव।
पूर्णिया चुनाव के परिणाम न केवल स्थानीय सत्ता समीकरण तय करेंगे बल्कि बिहार में बड़े पैमाने पर महागठबंधन और बीजेपी के प्रभाव को भी प्रभावित कर सकते हैं। यादव समाज में यादव नेता के तौर पर जितेंद्र यादव की स्वीकार्यता और मेयर पत्नी का जनाधार इस सीट के चुनाव परिणाम में निर्णायक साबित हो सकता है।
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