नई दिल्ली, एजेंसियां। कोरोना काल में जब देश के लोगों को वैक्सीन दी जा रही थी, उस समय भी कोविशील्ड और कोवैक्सीन को बनाने वाली कंपनियां एक दूसरे के आमने-सामने थीं।
अब जबकि कोविशील्ड को लेकर नए तथ्य सामने आए हैं, कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने भी सुरक्षा को लेकर अपना दावा किया है। यहां गौर करनेवाली बात है कि भारत में करीब 80 प्रतिशत लोगों ने कोवीशील्ड वैक्सीन लगवाई है।
हर कोई यही पूछने में लग गया कि इस वैक्सीन के क्या साइड इफेक्ट्स हैं, क्या सिमटम्स हैं और क्या वैक्सीन लगवाने वालों को कोई खतरा है।
एस्ट्राजेनेका को लेकर चल रही बहस के बीच कोवैक्सिन बनाने वाली कंपनी ने कहा कि उनके लिए सुरक्षा प्राथमिकता थी।
दरअसल, ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्रेजेनिका ने पहली बार कोर्ट में स्वीकार किया कि उसके कोविड 19 वैक्सीन से गंभीर साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।
इसी वैक्सीन को भारत में हम कोवीशील्ड के नाम से जानते हैं। एस्ट्रेजेनिका ने इस वैक्सीन को यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के साथ मिलकर तैयार किया था।
वैक्सीन लेने के बाद ब्लड क्लाटिंग और दूसरे गंभीर दिक्कतों के कारण मौत को लेकर एस्ट्रेजेनिका कानूनी कार्रवाई का सामना कर रही है। कई परिवारों ने आरोप लगाया है कि वैक्सीन के कारण गंभीर साइड इफेक्टस हुए हैं।
ब्रिटिश अखबार टेलीग्राम ने कोर्ट के दस्तावेजों के हवाले से रिपोर्ट मंर कहा कि एस्ट्रेजेनिका के खिलाफ पहला केस जिमी नाम के व्यक्ति ने यूके की कोर्ट में दर्ज कराया था।
अप्रैल 2021 में एस्ट्रेजेनिका की वैक्सीन लेने के बाद वो स्थायी रूप से ब्रेन इंजरी का शिकार हो गए। वैक्सीन लेने के बाद वो काम नहीं कर पाए।
जिमी को टीटीएस नाम का गंभीर साइड इफेक्ट हुआ। इससे शरीर में खून जमने की वजह से ब्रेन स्ट्रोक या कार्डिक अरेस्ट का खतरा बढ़ जाता है।
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