रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही राज्य में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। इस बीच कई पुराने नेता भी सामने आने लगे हैं। एक जमाने में झारखंड के कद्दावर नेता रहे सूरज मंडल भी अचानक ही सक्रिय दिखने लगे हैं। उनकी सक्रियता को नजरंदाज नहीं किया सकता।
सक्रिय होते ही उन्होंने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिये हैं। पुराने दिग्गज राजनीतिज्ञों और झारखंड आंदोलनकारियों को एक मंच पर लाने की उन्होंने कवायद शुरू कर दी है। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी घोषणा कर दी है कि झारखंड की सत्ता की चाबी वे हासिल करके रहेंगे।
सूरज मंडल की यह घोषणा राजनीतिक हलकों में ललकार की तरह गूंज रही है। तमाम राजनीतिक दल खास कर वो जो आदिवासी हितों की राजनीति करते हैं, उनके लिए खास संकेत है।
सूरज मंडल दिल्ली से लौट आये हैं और अब वह सिर्फ संथाल परगना तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि राजधानी रांची पहुंच चुके हैं। उनके आगमन ने राजनीतिक सनसनी फैलानी शुरू कर दी है।
उन्होंने जिन लोगों को साथ जोड़ा है, वे भी मामूली नहीं हैं, बल्ति झारखंड अलग राज्य आंदोलन के जबरदस्त लड़ाके रहे हैं। इनमें प्रभाकर तिर्की, विनोद भागत जैसे चर्चित नाम शामिल हैं। पुराने लोग जानते हैं कि अलग राज्य आंदोलन के दौरान इन लाड़ाकों की कैसी चलती थी और क्या हैसियत थी।
बताते चलें कि सूरज मंडल पूर्व में झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसद रह चुके हैं। वह झारखंड स्वशासी परिषद यानी जैक के उपाध्यक्ष भी रहे हैं। उन्होंने मजदूरों की राजनीति भी की। वह झारखंड मज़दूर मोर्चा के अध्यक्ष रह चुके हैं।
लंबे समय के बाद सूरज मंडल रांची आए और आते ही पुराने साथियों की खोज की और ताबड़तोड़ बैठक कर डाली। बैठक भी कहां की, तो आदिवासियों के परंपरागत घुमकुड़ियां में। यहां बकायदा झारखंड आंदोलनकारी मोर्चा का गठन भी किया गया।
इसी बैठक में सूरज मंडल ने हुंकार भरी कि अब समय आ गया है एक और लड़ाई लड़ने का। क्योंकि जिस झारखंड का हमने सपना देखा था। जिस सपने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी और राज्य अलग कराया, वह सपना अब भी अधूरा है।
झारखंड निर्माण के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सत्ता की चाबी अपने हाथ में लेनी ही होगी।इस राज्य के विकास व आदिवासियों, मूलवासियों के लिए फिर से लड़ाई लडनी होगी।
अब आपको बताते हैं कि सूरज मंडल के साथ कौन लोग हैं, तो झारखंड आंदोलनकारी प्रभाकर तिर्की, पूर्व विधायक बहादुर उरांव, आंदोलनकारी विनोद भगत, आंदोलनकारी सूरज प्रसाद स्वर्णकार जैसे बड़े नेता सूरज मंडल के आंदोलनकारी मोर्चा में शामिल हैं। सियासी गलयारों में सूरज मंडल को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
जाहिर है जब सूरज मंडल राजनीति में सक्रिय हो ही गये हैं, तो उनकी दहाड़ भी सुनने को मिलेगी, जिसके लिए वह जाने जाते रहे हैं।
अब देखना है कि यह पुराना शेर झारखंड की मौजूदा राजनीति में किस तरह अपनी लड़ाई लड़ता है। साथ ही यह भी देखना दिलचस्प होगा कि आगामी विधानसभा चुनाव में सूरज मंडल और उनकी टीम क्या कदम उठाती है। क्या वह चुनाव लड़ने जा रहे है, यह बड़ा सवाल है, जिसका जवाब आगामी दो चार दिनों में मिल सकता है।
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