Robert Vadra:
नई दिल्ली, एजेंसियां। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा एक बार फिर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के रडार पर हैं। ईडी ने दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें मानेसर-शिकोहपुर जमीन सौदे में कथित धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। ईडी ने वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड की 43 संपत्तियाँ (कुल मूल्य: 37.64 करोड़ रुपये) कुर्क कर ली हैं।
क्या हैं आरोप?
माना जा रहा है कि वाड्रा की कंपनी को जिस दिन जमीन बेची गई, उसी दिन उसका म्यूटेशन (स्वामित्व हस्तांतरण) हुआ और अगले दिन ही कंपनी के नाम ट्रांसफर भी हो गया जबकि सामान्य प्रक्रिया में 3 महीने तक का समय लगता है। विवादित जमीन की कीमत उस समय 773% तक बढ़ी, जब हरियाणा की हुड्डा सरकार ने उसे कमर्शियल कॉलोनी के रूप में डेवलप करने की अनुमति दी। बाद में, वाड्रा की कंपनी ने ये जमीन DLF को 58 करोड़ में बेच दी।
चार्जशीट और संपत्ति कुर्की के मायने
ईडी ने वाड्रा समेत 11 अन्य लोगों को आरोपी बनाया है। PMLA की धारा 5 के तहत, जिन संपत्तियों को अवैध आय से खरीदा गया मान लिया जाता है, उन्हें अस्थायी तौर पर अटैच किया जा सकता है। यह आदेश 180 दिन तक वैध रहता है और न्यायिक प्राधिकरण से पुष्टि होनी जरूरी होती है।यदि पुष्टि नहीं होती, तो संपत्ति वापस मिल जाती है। लेकिन अगर पुष्टि हो जाती है, तो आरोपी उसे न बेच सकता है, न किराये पर दे सकता है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
राहुल गांधी ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध बताया और कहा कि रॉबर्ट वाड्रा को 10 वर्षों से परेशान किया जा रहा है।
आगे क्या?
24 जुलाई को कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई होगी, जिसमें दस्तावेज़ों की वैधता जांची जाएगी। अगर ईडी की कार्रवाई न्यायिक रूप से सही ठहराई जाती है, तो वाड्रा की संपत्तियां लंबे समय तक अटैच रह सकती हैं या जब्त की जा सकती हैं। यह मामला कांग्रेस और केंद्र सरकार के बीच राजनीतिक तकरार का बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है।
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