Justice Yashwant Verma:
लखनऊ, एजेंसियां। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी ही जांच कमेटी के निष्कर्षों को चुनौती दी है। दिल्ली स्थित उनके आवास से बड़ी मात्रा में नकदी मिलने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक जांच पैनल गठित किया था, जिसने जस्टिस वर्मा के खिलाफ पर्याप्त सबूत पाए थे। पैनल की रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना ने उनके खिलाफ महाभियोग सिफारिश की थी।
जस्टिस वर्मा का कहना है
जस्टिस वर्मा का कहना है कि जांच समिति ने महत्वपूर्ण तथ्यों की जांच किए बिना ही कार्यवाही समाप्त कर दी और कई तथ्यों को सही मान लिया, जबकि उन्हें गलत साबित करने का भार उनके ऊपर डाला गया। इसके चलते उनका व्यक्तिगत और संवैधानिक अधिकार दोनों प्रभावित हुए हैं। पिछले दिनों एक याचिका में सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली पुलिस और प्रवर्तन निदेशालय (ED) को FIR दर्ज कर सार्थक जांच का आदेश देने की मांग भी की गई थी। कोर्ट इस पर सुनवाई के लिए तैयार है। संसद के मानसून सत्र के दौरान केंद्र सरकार जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश कर सकती है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने इसके लिए तैयारियों की जानकारी दी थी और कहा था कि अधिकांश विपक्षी नेता भी इस प्रस्ताव के पक्ष में हैं।
मामले का संक्षिप्त परिचय:
14 मार्च को जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित आवास में आग लगी थी। आग बुझाने पहुंचे दमकल कर्मियों को वहां बड़ी मात्रा में कैश मिला था। इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आंतरिक जांच के आदेश दिए और जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया।
Justice Yashwant Verma submitted the investigation
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