वाशिंगटन, एजेंसियां। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में अपनी नीति में बड़ा बदलाव किया है। पहले अमेरिका, रूस के खिलाफ था और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की का समर्थन कर रहा था, लेकिन अब ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति को तानाशाह करार दिया है।
ट्रंप ने कहा कि युद्ध को समाप्त करने के लिए यूक्रेन और रूस के बीच सीधी बातचीत जरूरी है। वह इस जंग को खत्म करने के लिए पुतिन और जेलेंस्की के बीच बातचीत की वकालत कर रहे हैं, जो पूरी तरह से उनके पहले के रूख से अलग है।
ट्रंप का बयान
यह बदलाव भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीति के अनुरूप है। भारत ने हमेशा कहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध का कोई हल सैन्य तरीके से नहीं निकाला जा सकता, बल्कि इसके लिए शांति और बातचीत का रास्ता अपनाना होगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस विषय पर बार-बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी बात दोहराई है। भारत ने रूस और यूक्रेन दोनों से बातचीत की आवश्यकता पर जोर दिया है, न कि एकतरफा समर्थन या आलोचना की। अब ट्रंप भी इसी नीति को अपना रहे हैं, जो पहले अमेरिका के दृष्टिकोण से बिल्कुल अलग थी।
अमेरिका की नीति में बदलाव
यूक्रेन युद्ध के मामले में ट्रंप का यह यू-टर्न महत्वपूर्ण है, क्योंकि पहले अमेरिका ने रूस को जिम्मेदार ठहराते हुए यूक्रेन को हथियारों और आर्थिक सहायता दी थी। लेकिन अब ट्रंप ने स्थिति को फिर से देखकर यह समझा है
कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को और बढ़ाने से कोई लाभ नहीं होगा। ट्रंप का मानना है कि शांति और वार्ता ही एकमात्र तरीका है, जिससे इस युद्ध का समाधान निकल सकता है। उन्होंने यूक्रेन को यह चेतावनी भी दी है कि अगर उसने जल्दी कदम नहीं उठाए तो युद्ध की स्थिति और गंभीर हो सकती है।
भारत वाली बात दोहरा रहे ट्रंप
भारत की नीति हमेशा से संतुलित और स्थिर रही है। भारत ने रूस और यूक्रेन दोनों के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखे हैं, और कभी भी किसी एक पक्ष का खुलकर समर्थन नहीं किया।
भारत का रुख हमेशा से यह रहा है कि दोनों देशों को बैठकर बातचीत करनी चाहिए और युद्ध को समाप्त करने का प्रयास करना चाहिए। अब डोनाल्ड ट्रंप भी वही बात दोहरा रहे हैं, जिसे प्रधानमंत्री मोदी पहले से ही मानते रहे हैं। यह बदलाव ट्रंप की रणनीति में एक बड़ा मोड़ है, जो भविष्य में रूस-यूक्रेन युद्ध के समाधान के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।
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