कृषि आधारित व्यवसाय
कृषि
भारत में कृषि एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जो कुल सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 17% हिस्सा है और 60% से अधिक कार्यबल को रोजगार देता है।
भारत गेहूं, चावल, कपास, गन्ना, फल और सब्जियां, दूध और चाय और कॉफी का प्रमुख उत्पादक है।
कृषि-आधारित उद्योग वे हैं जो मुख्य रूप से पौधों और जानवरों से प्राप्त कृषि इनपुट (कच्चे माल) का उपयोग और प्रसंस्करण करते हैं ताकि उन्हें विपणन योग्य संसाधित वस्तुओं में परिवर्तित किया जा सके।
इस प्रकार, कृषि आधारित उद्योगों के लिए कृषि इनपुट का मुख्य स्रोत है।
भारत में कृषि-आधारित उद्योगों के कुछ उदाहरण हैं डेयरी, पोल्ट्री, गन्ना, चमड़ा, रबर, जैव ईंधन, चावल मिलें, जूट, कागज, कपड़ा, सब्जी और फल प्रसंस्करण इकाइयां (अचार, जैम, चिप्स, आदि), चाय और कॉफी वगैरह।
भारत में आज भी 70 प्रतिशत लोग कृषि और इससे संबंधित कामों से जुड़कर जीवनयापन कर रहे हैं।
अब वह जमाना नहीं जब केवल खेती पर ही निर्भर होकर आजीविका चल सके। किसानों को अपनी आय बढ़ाने के लिए बहुत बढिय़ा अवसर होते हैं कि वे कृषि आधारित उद्योग स्थापित करें ताकि समृद्ध जीवन जी सकें।
किसानों के अलावा कोई भी व्यक्ति एग्रोबेस्ड इंडस्ट्री लगा सकते हैं। भारत में कुछ टॉप कृषि आधारित व्यवसाय हैं, जिन्हें अपना कर लोग अपना करियर सफल बना सकते हैं।
कृषि आधारित उद्योगः
कृषि आधारित उद्योग लगाने से पहले यह जानना बहुत जरूरी है कि आखिर कौन से ऐसे उद्योग हैं जो कृषि आधारित कहलाते हैं। इनकी क्या परिभाषा है?
तो कृषि आधारित उद्योग वे हैं जो पौधों और जानवरों से कृषि उत्पादन को अपने कच्चे माल के रूप में नियोजित करते हैं।
इसके साथ ही विपणन योग्य उत्पादों का प्रसंस्करण् और निर्माण करके नये उत्पाद बनाए जा सकते हैं।
इनमें कपड़ा उद्योग, वनस्पति तेल उद्योग, चमड़े का सामान, चाय, कॉफी आदि बनाने के उद्योग शामिल हैं।
ऐसे उद्योग लोगों को उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए रोजगार के अवसर भी प्रदान करते हैं।
वहीं कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार कृषि एवं इससे संबंधित व्यवसायों ने वित्त वर्ष 2020 में मौजूदा कीमतों पर देश के सकल मूल्यवर्धन में 20.2 प्रतिशत का योगदान दिया है।
निश्चित रूप से कृषि आधारित उद्योग लगाकर आप अपनी आय को कई गुना बढ़ा सकते हैं।
कृषि आधारित उद्योगों के फायदेः
कृषि आधारित उद्योगों से आय बढऩे के साथ ही कई तरह के फायदे होते हैं, जो इस प्रकार हैः
• औद्योगिक उत्पादन बढ़ाने में सहायता करना।
• ग्रामीण एवं पिछड़े स्थानों के भूमिहीन खेतीहर एवं मजदूरों एवं आदिवासियों को काम देना।
• अर्थव्यवस्था में विविधता लाकर कृषि निर्भरता कम करके ग्रामीण अर्थव्यवस्था की वृद्धि करना।
• आय और आजीविका के विश्वसनीय स्त्रौत उपलब्ध करवा कर यह सुनिश्चित करना कि गरीबी दूर हो।
• देश के लिए अति आवश्यक विदेशी मुद्रा अर्जित करें।
• दूरस्थ क्षेत्रों में जीवन स्तर को ऊपर उठाना।
• कृषि और औद्योगिक विस्तार के साथ स्वस्थ संतुलन को प्रोत्साहित करना।
कृषि आधारित उद्योगों की श्रेणियां:
भारत में कृषि आधारित उद्योगों की कई श्रेणियां हैं। इनमें प्रमुख निम्न हैः
कृषि उत्पाद प्रसंस्करण इकाइयां
इस तरह की इकाइयों में चावल और दालों को प्रसंस्करण करने की मशीनें लगाई जाती हैं। इसके अलावा जल्दी खराब होने वाले कृषि उत्पादों को भी प्रोसेसिंग कर सुरक्षित बनाया जाता है।
कृषि उत्पादन निर्माण इकाइयां
ऐसे कृषि उद्योगों की श्रेणियों में वे उद्योग आते हैं जिनमें कच्चे माल से नये उत्पाद बनते हैं। इनमें चीनी और कपड़ा मिलें आदि इकाइयां आती हैं।
कृषि इनपुट निर्माण इकाइयां
बता दें कि कृषि इनपुट निर्माण इकाइयों के अंतर्गत कृषि मशीनीकरण या उत्पादकता में वृद्धि के लिए माल का निर्माण करते हैं।
कृषि उपकरण, बीज, उर्वरक और कीटनाशक निर्माण इकाइयां इस श्रेणी के उद्योगों के उदाहरण हैं।
कृषि सेवा केंद्र
कृषि सेवा केंद्र कार्यशालाएं और सेवा केंद्रों पर कृषि उपकरण जैसे कि पंपसैट, डीजल इंजन, ट्रैक्टर और अन्य कृषि मशीनरी की मरम्मत और सेवा करते हैं।
ये आम तौर पर इकाइयां होती हैं जो लोगों को कृषि संबंधी सेवाएं प्रदान करती हैं जैसे कृषि उपकरणों की मरम्मत, शैक्षिक कार्यशालाएं आदि।
भारत के टॉप 10 कृषि आधारित उद्योगः
भारत में यूं तो अनेक ऐसे कुटीर एवं लघु उद्योग हैं जो विभिन्न कृषि उत्पादों पर आधारित हैं, लेकिन यहां ऐसे शीर्ष 10 उद्योगों के बारे में जानकारी है, आय को दोगुना कर सकते हैं। ये कृषि आधारित उद्योग इस प्रकार हैः
कपड़ा उद्योग
कपड़ा उद्योग पूरी तरह से कृषि पर आधारित है। कपड़ा उद्योग में सूती वस्त्र, रेशमी वस्त्र, कृत्रिम रेशे और जूट के वस्त्रों का उत्पादन कर सकते है।
कपड़ा उद्योग भारत का सबसे बड़ा उद्योग है, इससे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है। कपड़ा उद्योग देश का सबसे बड़ा कृषि आधारित उद्योग है।
यह उद्योग अपने आप में आत्मनिर्भर उद्योग कहलाता है क्योंकि ग्राहकों के लिए कच्चे माल से लेकर तैयार मूल्य वर्धित उत्पादों तक सब कुछ बनाती है।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग
भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग दुनिया के सबसे बड़े उद्योगों में एक है। इसके अंतर्गत सास, डेयरी, चीनी, वनस्पति तेल और चाय-काफी आदि का प्रसंस्करण् होता है।
इन्हें कम लागत और सीमित पूंजी के तहत शुरू कर सकते हैं।
डेयरी उद्योग
भारत में डेयरी व्यवसाय खेती और पशुपालन से जुड़ा व्यवसाय है। यह उद्योग भारत के प्रमुख उद्योगों में शुमार है।
इसमें देश के सकल घरेलू उत्पाद का 4 प्रतिशत तक है। इस उद्योग में देश के सकल घरेलू उत्पादों का 4 प्रतिशत तक है।
भारतीय किसानों के लिए यह उद्योग आमदनी का अच्छा स्त्रौत है। इसे देश का सबसे लोकप्रिय उद्योग कहा जाता है। डेयरी उद्योग में मुख्य रूप से दूध की ज्यदा जरूरत होती है।
चीनी उद्योग
बता दें चीनी भारतीय लोगो के लिए आहार की प्रमुख घटक है। ब्राजील के बाद भारत में चीनी उत्पादन सबसे ज्यादा होता है।
वर्ष 2020 में भारत ने 28.9 मिलियन मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन किया जो विश्व के 166.18 मिलियन मीट्रिक टन का 17 प्रतिशत है।
वनस्पति तेल उद्योग
कृषि आधारित उद्योगों में वनस्पति तेल का उद्योग लगाना भी काफी लाभदायह साबित होता है।
आजकल लोगों को शुद्ध खाद् तेल पसंद होता है इसलिए वनस्पति तेल की भी खासी डिमांड बनी रहती है।
भारत में विश्व का करीब 5 प्रतिशत वनस्पति तेल का उत्पादन होता है। वहीं देश में वनस्पति तेलों की सर्वाधिक मांग रहती है।
इस मांग को पूरा करने के लिए भारत को करीब 15 मिलियन टन वनस्पति तेलों का आयात करना पड़ता है।
वनस्पति तेल का प्लांट लगाने के लिए नारियल, सरसों और मूंगफली की प्राथमिक जरूरत होगी।
चाय उद्योग
आजकल चाय का बिजनेस भी खूब चलता है। अक्सर दिन में व्यक्ति को दो-तीन बार चाय पीता है।
शहरों से लेकर गांवों तक लगभग हर एक किलोमीटर पर चाय की थड़ी अवश्य मिलती है। बता दें कि भारत चाय का सबसे अधिक उत्पादक देश है।
चाय की सबसे ज्यादा खपत भी यहीं होती है। भारत के असम, बंगाल और केरल चाय के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।
चाय उद्योग वर्ष भर चलने वाला है। यहां यह बता दें कि चाय उत्पादन से लेकर चाय की थड़ी चलाने तक सब कुछ बिजनेस आधारित है।
चाय के बागानों से चाय की पत्तियों को चुनने के बाद अलग-अलग वैराटियों की चाय तैयार की जाती है। यह आप भी कर सकते हैं।
कॉफी उद्योग
यहां बता दें कि चाय की भांति कॉफी उद्योग भी आपको अल्प समय में ही लखपति बना सकता है।
भारत लंबे समय से चाय पीने वाला देश रहा है लेकिन पिछले कई दशकों से यहां काफी पीने का भी चलन तेजी से बढ़ रहा है।
अब शहरों के अलावा कस्बों में भी कॉफी हाउस खुलने लगे हैं। कॉफी के उत्पादन की बात करें तो भारत दुनिया का छठा सबसे बड़ा कॉफी उत्पादक देश है।
यहीं नहीं निर्यात करने में भी भारत आगे है। वर्ष 2019 में काफी का उत्पादन कुल 2,99, 300 मिलियन टन हुआ जो कुल वैश्विक कॉफी उत्पादन का 3.14 प्रतिशत है।
चमड़े के सामान का उद्योग
चमड़े के सामान से अनेक उपयोगी वस्तुएं तैयार की जाती हैं। शूज से लेकर पर्स, बैग, बेल्ट ना जाने कितने तरह के साजो-सामान चमड़े से बनते हैं।
यह उद्योग भी कृषि आधारित ही माना जाता है क्योंकि किसान पशुपालन करते हैं और पशुओं की मौत के बाद इनकी खाल से कारखानों में चमड़ा तैयार होता है।
भारत में चमड़ा उद्योगों में विश्व का लगभग 12.93 प्रतिशत चमड़ा उत्पादन होता है।
बता दें कि मवेशियों में भेड़-बकरियों जैसे छोटे जानवरों की खाल और इस क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले प्राथमिक कच्चे माल हैं।
कानपुर में चमड़े का सर्वाधिक व्यापार होता है। इस व्यवसाय में भी हजारों लोगों को रोजगार मिलता है।
बांस का कुटीर उद्योग
कहने को बांस महज बांस ही होता है लेकिन इससे सैकड़ों प्रकार की कलात्मक वस्तुएं, उपयोगी सामान जैसे टोकरे, करटेन, चेयर, टेबल आदि बनाए जाते हैं।
आप भी बांस पर आधारित कोई एक उद्योग चुन सकते हैं इसमें ज्यादा कच्चे माल की भी जरूरत नहीं होती।
हां, जगह थोड़ी ज्यादा चाहिए। बता दें कि भारत के पूर्वी क्षेत्रों में बांस का रोपण ज्यादा होता है। यहां बांस की खेती से किसान लाखों रुपये महीना कमाते हैं।
जूट उद्योग
जूट एक ऐसा कृषि उत्पाद है जिससे अनेक तरह के सामान बना कर बाजार को सप्लाई किया जाता है।
जूट से खिलौने से लेकर रस्सियां, कपड़े, बोरे, दरी, पट्टियां आदि कितने ही प्रकार के कीमती सामान बनाए जाते हैं।
जूट भारत के पश्चिमी बंगाल में सर्वाधिक होता है। जूट आधारित उद्योगों से भारत की अर्थव्यवस्था काफी कुछ मजबूत होती है।
आप भी घर पर जूट आधारित कोई भी एक सामान बनाने का उद्योग शुरू कर अपनी कमाई बढ़ा सकते हैं।
कृषि आधारित उद्योगों को सरकार देती है बढ़ावाः
कृषि आधारित उद्योग लगाने के लिए सरकार प्रोत्साहित करती है। केंद्र और राज्य सरकारों की कई योजनाएं संचालित होती हैं।
इनमें आवेदन कर संबंधित उद्योग लगाने के लिए सब्सिडी का लाभ लिया जा सकता है। सरकार ने एमएसएमई मंत्रालय के माध्यम से भी ऐसे उद्योग स्थापित करने वाले लोगों को निर्धारित सहायता राशि प्रदान करने की व्यवस्था की है।
इसके अलावा क्रेडिट गारंटी निवेश योजना, चमड़ा उद्योग विकास योजना, खाद्य वस्तु उद्योग आदि अनेक योजनाओं में उद्योग लगाने के लिए 50 हजार से 10 लाख रुपये तक की सब्सिडी प्रदान की जाती है।
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