नई दिल्ली। केंद्र सरकार आंदोलनरत किसानों से बातचीत करने पर सहमत हो गई है। साथ ही सरकार ने किसानों से आग्रह किया है कि वे अपनी मांगों की सूची में नये-नये मुद्दे न जोड़ें।
सरकार ने किसानों से लगातार अपनी मांगों की सूची में नए मुद्दे जोड़ने से बचने का आग्रह किया है।
साथ ही किसानों से आग्रह किया गया है कि वे ऐसे लोगों से बचें, जो किसान आंदोलन के बहाने अपनी राजनीतिक स्वार्थ साधने में जुटे हैं।
सरकार ने आगाह किया है कि राजनीतिक लाभ के लिए कुछ तत्व किसानों के विरोध-प्रदर्शन को बदनाम करना चाहते हैं।
कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि चंडीगढ़ में हुई दो दौर की बातचीत में किसानों की कई मांगों पर सहमति बनी है। फिर कई मुद्दें हैं, जिन पर बातचीत जारी है। सरकार ने किसानों की मांगों के आलोक में कुछ मांगों पर काम शुरू हो चुका है।
इसी के तहत पिछले आंदोलन के दौरान दर्ज केस वापस लिये जा रहे हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मांगों में लगातार नए मुद्दों को जोड़ने से समाधान का कार्य बाधित होता है।
बता दें कि किसान एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, पुलिस मामलों को वापस लेने और लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’ की भी मांग कर रहे हैं।
किसान पिछले दो दिनों से अपनी मांगों को लेकर दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
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