नई दिल्ली, एजेंसियां। चैंपियंस ट्राफी के पहले सेमीफाइनल का मैच कल काफी रोमांचक रहा। भारत ने चेज मास्टर विराट कोहली की शानदार प्रदर्शन की बदौलत ऑस्ट्रेलिया न सिर्फ धूल चटाई, बल्कि टूर्नामेंट से बाहर कर दिया।
इस जीत के साथ ही पूरे दुबई से लेकर भारत तक होली और दिवाली साथ ही मन गई। ऐसा माहौल बना, मानो भारत ने टूर्नामेंट ही जीत लिया हो। ऐसे में बड़ा सवाल है कि सेमीफाइनल की जीत पर ही ऐसा जश्न क्यों..कल का जश्न ऐसा था कि पाकिस्तान के खिलाफ मिली जीत पर भी इतना धूम धड़ाका नहीं हुआ।
दरअसल, कल का जश्न महज क जीत से मिली खुशी नहीं थी, बल्कि उस कसक से छुटकारे का प्रतीक थी, जो 19 नवंबर 2023 को हमें ऑस्ट्रेलिया से मिली थी। 19 नवंबर 2023 और 4 मार्च 2025 के बीच 428 दिन तक सिर्फ टीम इंडिया ही नहीं, बल्कि पूरा देश इस हार की टीस झेल रहा था।
हालांकि इससे पहले भी साल 2003 में साउथ अफ्रीका में हुए वल्र्ड कप के फाइनल में भारत ऑस्ट्रेलिया से हारा था, पर 19 नवंबर 2023 की हार की टीस हमें ज्यादा चुभ रही थी। शायद इसका एक कारण यह भी हो सकता है
कि 2023 में टीम इंडिया पूरे टूर्नामेंट में एक भी मैच नहीं हारी थी और फाइनल में मिली हार के बाद भारतीय खिलाड़ियों के चेहरे पर ऐसी हताशा थी, जिसने एक-एक भारतीय के दिलों को तार-तार कर दिया था।
इस हार के चोट से भारतीय उबर नहीं सके थे। हालांकि पिछले साल हुए टी-20 वर्ल्ड कप के मुकाबले में भी टीम ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर टूर्नामेंट से बाहर किया था, पर उस समय ऐसी खुशी की लहर नहीं देखी गई थी।
संभव है चैंपियंस ट्राफी में एक दिवसीय मैच होते हैं और कल का मुकाबला भी करो या मरो का था, इसलिए भारतीय फैंस के लिए ये अपनी कसक मिटाने का मौका था। तब ही तो कोलकाता, लखनऊ, दिल्ली से लेकर लगभग सभी शहरों में इस जीत का जश्न मना।
लोग सड़कों पर गाजे बाजे और अबीर-गुलाल के साथ नाचते-गाते नजर आये। सबकी जुबान पर एक वाक्य था, 19 नवंबर 2023 का ले लिया बदला। भारतीय टीम के ड्रेसिंग रूम का नजारा भी कुछ ऐसा ही था।
ड्रेसिंग रूम के नजारे ने ही फैंस का उत्साह दोगुना कर दिया। जहां विराट कोहली हार्दिक के एक-एक शाट पर चियर करते नजर आ रहे थे। इतना ही नहीं, ऑस्ट्रेलियन खिलाड़ियों के चहरों पर छाई मायूसी ने भी भारतीय के उत्साह में चार चांद लगाया।
खैर ये तो हुई जीत के जश्न की बातें। अब बात कि क्या सचमुच हमारा बदला पूरा हो गया है। तो बता दें कि कल रात एक टीवी चैनल पर पूर्व भारतीय क्रिकेटर कपिलदेव ने इस जीत के जश्न को जल्दबाजी बताते हुए, फाइनल तक इंतजार करने को कहा।
उनका इशारा साफ था, अभी जीत पूरी नहीं हुई है। इसलिए अभी अपनी भावनाओ पर काबू रखें। वैसे भी अभी हमें कई पराजयों का बदला लेना है, चाहे वह 2003 के वर्ल्ड कप फाइनल की हार हो या 2007 में बांग्लादेश से मिली हार।
सभी पराजयों का हिसाब चुकता करने का एक ही मंत्र है, सारी पिछली बातें भूल कर एक के बाद एक आइसीसी ट्राफी कब्जा जमाते जायें। जाहिर है इस क्रम में तमाम हार का बदला भी निश्चित ही चुकता होता चला जायेगा। बेस्ट ऑफ लक टीम इंडिया।
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