रामगढ़। होली के साथ ही संताल आदिवासियों का पर्व ‘बाहा’ को लेकर भी झारखंड में धूम दिखी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी पत्नी कल्पना सोरेन के साथ रामगढ़ जिला के नेमरा स्थित पैतृक निवास पहुंच कर ‘बाहा पर्व’ में हिस्सा लिया। इस मौके पर सीएम हेमंत सोरेन का बिंदास दिखा, जो लोगों ने पहले कभी नहीं देखा था।
उन्होंने सरना पूजा स्थल ‘जाहेरथान’ में पारंपरिक विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर राज्यवासियों की सुख-समृद्धि, उन्नति और कल्याण की कामना की।
‘साल’ वृक्ष और पवित्र फूल की पूजा कीः
हेमंत सोरेन ने ‘साल’ वृक्ष और पवित्र फूल की पूजा की। ‘बाहा’ शब्द का अर्थ फूल होता है, जो प्रकृति और मानव के संबंधों से जुड़ा एक पर्व है। इस पर्व में संताल समाज के लोग होली खेलने के साथ ही साल वृक्ष के फूलों की पूजा करते है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी जाहेर स्थान में विशेष रूप से ‘साल’ वृक्ष और पवित्र चिह्न की पूजा अर्चना की।
पत्नी कल्पना सोरेन के साथ किचन में पकाया भोजनः
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने पैतृक आवास में पत्नी कल्पना सोरेन के साथ पूजा-अर्चना के बाद घर के किचन में परिवार के सदस्यों के साथ भोजन भी पकाया। उनका ये अंदाज देखने वालों को हैरान कर गया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने पत्ता में लपेट कर चावल का छिलका भी बनाया। बाद में परिवार के सभी सदस्यों के साथ इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया और स्वाद का आनंद लिया।
फागुन माह के पांचवें दिन से शुरू होता है बाहा पर्वः
संताली आदिवासी समाज की ओर से बाहा पर्व के नाम से होली मनाने की परंपरा है। जिसमें रंग के बदले सादा पानी से होली खेलते हैं। बाहा पर्व आदिवासियों का बड़ा पर्व है। इसे फागुन माह के 5वें दिन से शुरू होकर पूर्णिमा तक मनाए जाने की परंपरा है।
गांव में सामूहिक भोजन का आयोजनः
बाहा पर्व के दौरान आदिवासियों के पूजा स्थल जाहेरथान में पूजा अर्चना की जाती है और फिर सामूहिक भोज का भी आयोजन किया जाता है। जिसमें गांव के लोग सामूहिक रूप से प्रसाद ग्रहण करते हैं। नेमरा गांव में भी हेमंत सोरेन, विधायक कल्पना सोरेन और ममता देवी समेत अन्य लोगों ने सामूहिक भोज में हिस्सा लिया। यहां हेमंत सोरेन एक-एक लोगों को पूछ-पूछ कर खाना खिलाते रहे। मानो लोगों के समक्ष मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि गांव का ही एक साथी खड़ा होग। सीएम की इस अदा ने लोगों का दिल जीत लिया।
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