पटना, एजेंसियां। बिहार के सारण जिले के मढ़ौरा की ताईबा अफरोज बानी पहली महिला पाइलट। बचपन से ही आसमान में उड़ने का ख्वाब देखने वाली ताईबा ने इसके लिए अपनी कड़ी मेहनत और संघर्ष से मंजिल पाई।
पायलट बनने का सपना और परिवार का समर्थन
ताईबा अफरोज के पिता मोतीउल हक ने उनकी पायलट बनने की ख्वाहिश को पूरा करने के लिए अपनी संपत्ति तक बेच दी। ताईबा ने अपनी इंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद पायलट बनने का निर्णय लिया और 2020 में भुवनेश्वर फ्लाइंग क्लब में दाखिला लिया, जहां उन्हें 80 घंटे का फ्लाइंग अनुभव प्राप्त हुआ। हालांकि, एक प्रशिक्षु पायलट की मौत के बाद उन्होंने कुछ समय के लिए प्रशिक्षण रोका, लेकिन बाद में चेन्नई के पूर्व डीजीपी अनुप जायसवाल की मदद से उन्होंने 2023 में इंदौर फ्लाइंग क्लब में फिर से प्रशिक्षण शुरू किया और वहां 120 घंटे का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
सपने को साकार करने में पिता और मार्गदर्शकों का योगदान
ताईबा के पायलट बनने के सफर में उनके पिता के दोस्त, मढ़ौरा के एयरफोर्स कर्मी अली हसन और चेन्नई के पूर्व डीजीपी अनुप जायसवाल ने उनका मार्गदर्शन और समर्थन किया। उनके पिता की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, लेकिन फिर भी उन्होंने ताईबा की प्रशिक्षण फीस चुकाने के लिए लोन लिया और अपनी एक प्रॉपर्टी बेच दी। इस संघर्ष ने ताईबा को और भी मजबूत बनाया, और आज वह सारण जिले की दूसरी और मढ़ौरा की पहली महिला पायलट बन गई हैं।
लड़कियों के लिए प्रेरणा: मेधा और प्रतिभा से पहचान बनाएं
ताईबा अफरोज का मानना है कि पर्दा प्रथा से कोई भी मंजिल हासिल नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि लड़कियों को अपनी मेधा और प्रतिभा से पहचान बनानी चाहिए और समाज के दबाव से बाहर निकल कर अपने भविष्य का निर्माण करना चाहिए। ताईबा ने मुस्लिम लड़कियों से अपील की कि वे अपने भविष्य के लिए खुद फैसले लें और किसी के दबाव में न आएं। उन्होंने कहा कि लड़कियां अपने हुनर और प्रतिभा के पंखों से उड़ान भरकर अपनी मनचाही मंजिल हासिल कर सकती हैं।
सपने सच करने की मिसाल
ताईबा अफरोज की यह सफलता यह साबित करती है कि अगर इरादा मजबूत हो और परिवार का समर्थन मिले, तो कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है। ताईबा की मेहनत और संघर्ष ने उन्हें उस ऊंचाई तक पहुंचाया है जहां वह अब आसमान में उड़ सकती हैं।
इसे भी पढ़ें