धनबाद। धनबाद की सबसे ताकतवर मानी जानेवाली फैमिली सिंह मेंशन में रहती है। जब तक पूर्व विधायक बाहुबली सूर्यदेव सिंह जिंदा थे, इस फैमिली की तूती बोलती थी। पर सूर्यदेव सिंह के गुजरते ही इस फैमिली के हिस्से एक-एक कर बिखरते चले गये। सिंह मेंशन अंदरूनी कलह का शिकार हो गया। फिर वो हुआ, जिसकी कल्पना भी कठिन थी। कहते हैं जिस खेत में खून से सिंचाई होती है, वो खूनी फसल ही पैदा करती है। वही सिंह मेंशन में भी हुआ।
यह परिवार ऐसा बिखरा कि सभी एक-दूसरे के खून के प्यास हो गये। सूर्यदेव सिंह की मौत के बाद परिवार की मौजूदा मुखिया यानी सूर्यदेव सिंह की पत्नी कुंती देवी ने काफी अरसे तक परिवार को एकजुट रखा, लेकिन बाद में बच्चा बाबू की राह अलग होते ही परिवार तिनक-तिनका बिखर गया।
बच्चा बाबू यानी झारखंड के पूर्व मंत्री और सूर्यदेव सिंह को छोटे भाई बच्चा सिंह। आज से साढ़े सात साल पहले जब सूर्यदेव सिंह के भतीजे नीरज सिंह की हत्या हुई थी, तब नीरज सिंह के चचेरे भाई यानी सूर्यदेव सिंह के पुत्र संजीव सिंह पर इसका आरोप लगा। वह इस आरोप में आज भी जेल में हैं।
सगे भतीजे नीरज सिंह की हत्या में अपने विधायक पुत्र संजीव सिंह की गिरफ्तारी के बाद सिंह मैंशन के बचाव में पूर्व विधायक और संजीव की मां कुंती सिंह खुलकर सामने आई तो परिवार के अंदरूनी हालात से पर्दा उठ गया। उन्होंने तब मीडिया से कहा था कि नीरज के मरला से केतना दुख बा भगवान रहती त छाती फाड़ के देखा देतीं। कइसे बताईं कि नीरज के हत्या के दिन हम कवना परिस्थिति में गुजरनी।
कुंती सिंह ने लगाया ये आरोपः
सिंह मैंशन के अंदर बैठकखाना में दिवंगत सूर्यदेव सिंह की पत्नी कुंती सिंह जब मीडिया के सामने अपनी बात कहने आयी तो उनके दोनों तरफ एक-47 से लैस अंगरक्षक खड़े थे। साथ में थे पुत्र सिद्धार्थ गौतम उर्फ मनीष सिंह भी मौजूद थे।
बैठकखाना समर्थकों से खचाखच भरा था। कुंती सिंह ने अपने पति सूर्यदेव सिंह के झरिया आने से लेकर विधायक बनने के संघर्ष, पति के निधन के बाद संकट से गुजरे परिवार के समय, देवर बच्चा सिंह के विधायक बनने, पुत्र राजीव रंजन सिंह के रहस्यमय ढंग से गायब होने, मंत्री बनने के बाद बच्चा सिंह द्वारा सिंह मैंशन के न संभाल पाने और नीरज सिंह हत्याकांड के बाद वर्तमान हालात की विस्तार से जानकारी दी। इस दौरान वह झरिया और धनबाद की जनता की सराहना भी करती रहीं।
ईश्वर पर भरोसा जताते हुए यह संतोष भी प्रकट करती रहीं कि वर्तमान संकट भी टल जाएगा। जैसे-प्रमोद सिंह हत्याकांड में सीबीआइ ने रामधीर सिंह और राजीव रंजन सिंह को क्लीन चिट दी वैसे ही नीरज सिंह हत्याकांड की सच्चाई भी एक दिन सामने आ जाएगी और संजीव सिंह निर्दोष साबित होंगे।
उन्होंने कहा था कि मेरे लिए जैसे संजीव हैं, उसी तरह नीरज भी थे। राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता चुनाव तक ही थी। झरिया में दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा। मैंने दोनों को आशीर्वाद दिया था। कहा था, दोनों में कोई जीते मेरा बेटा ही होगा। पूर्व विधायक कुंती ने कहा था कि झरिया विधानसभा किसी की बपौती नहीं है। सबको चुनाव लड़ने का हक है।
बेटे राजीव रंजन की रहस्यमय ढंग से गायब होने और हत्या की घटना को जीवन का सबसे दुखद क्षण बताते हुए कुंती सिंह ने कहा था मैं अपने बेटे को एक कफन भी नहीं दे सकी। उस दिन मैं और रागिनी (रंजन की पत्नी) एक ही कमरे में सोई हुई थी। सुबह उठकर बाथरूम गई थी। रागिनी दहाड़ मारकर रोने लगी। मैं घबड़ाकर बाहर निकली तो रागिनी के सामने पेपर पड़ा था।
पेपर में राजीव की हत्या की खबर थी। बच्चा बाबू और राजन बाबू के परिवार का कोई देखने नहीं आया। बेटे के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए जब भी बच्चा बाबू से कहती वह कहते, तीन-तीन एसपी की बदली करवा दी। तुम ढोंग कर रही हो। तुम जानती हो राजीव कहां है? उससे तुम फोन पर बात करती हो। तुम सब संपत्ति हड़प कर बैठी हो।
एक बार भी मंत्री रहते मेरे पुत्र राजीव रंजन की रहस्यमय ढंग से हत्या की सीबीआइ जांच की मांग नहीं उठाई। मेरी बेटी किरण और पुत्र मनीष रांची जाकर मंत्रीजी बच्चा बाबू से कुछ करने की गुहार लगाई तो उन्होंने यह कहते हुए भगा दिया कि उस लफंगा के कारण मेरा मंत्री पद खतरे में है।
पारिवारिक विवाद और वर्तमान हालात के लिए पूर्व विधायक कुंती सिंह ने सीधे तौर पर अपने देवर पूर्व मंत्री बच्चा सिंह को कसूरवार ठहराती हैं। नीरज सिंह की हत्या के बाद उन्होंने कहा था कि जैसे विधायकजी सूर्यदेव सिंह सबको समेटकर चलते थे, सारे भाई और परिवार को लेकर चलते थे, उसका आधा भी बच्चा बाबू लेकर चलते तो ये दिन नहीं देखना पड़ता। परिवार में बिखराव नहीं होता, बर्बादी नहीं होती। उन्हें परिवार नहीं पैसा चाहिए था।
वो भी सिर्फ राजन बाबू के बच्चों के लिए। कुंती सिंह ने बताया था कि जब पूरा परिवार एक था, तो कैसे वह पूरी गृहस्थी संभालती थीं। 1991 में सूर्यदेव सिंह के निधन और उसके बाद झरिया विधानसभा के उप चुनाव में आबो देवी के हाथों बच्चा सिंह की हार के बाद सिंह मैंशन के पराभव के दिनों की कुंती सिंह ने संघर्ष की कहानी मीडिया को सुनाई थी। कहा था कि मेरे पास पैसा नहीं था। घर का राशन-पानी तक बंद होने की नौबत आ गई थी।
झरिया के गणेश मसाला राशन दुकान से विनती कर राशन मंगवाई। मेरे बच्चों की पढ़ाई बंद हो गई। साल 2000 में बच्चा बाबू समता पार्टी में शामिल होने वाले थे। बच्चा बाबू ने आकर कहा कि नीतीश कुमार आने वाले हैं। 300 प्लेट नाश्ता की व्यवस्था करनी है। मैंने बेटी किरण और ज्योति के साथ मिलकर रातभर जागकर 300 प्लेट नाश्ता तैयार किया। बच्चा बाबू के कहने पर तीनों माई-बेटी ने मिलकर दिन का भोजन भी तैयार किया। कुंती सिंह ने कहा था कि बच्चा सिंह दो-दो बार चुनाव हार चुके थे। सब लोग मुझे चुनाव लड़ाना चाहते थे।
बेटा राजीव रंजन भी मुझे चुनाव लड़ाने के पक्ष में था। जेल में बंद बेटे को मैंने समझाया। कहा, अगर कुछ हो गया तो जीवन भर खुद को माफ नहीं करूंगी। जेल में रहते हुए रंजन ने जितना बन सका बच्चा बाबू को चुनाव जिताने के लिए अपने दोस्तों के सहयोग से किया। मंत्री बनने के बाद बच्चा बाबू रांची से लौटे तो दो-तीन महीने तक परिवार पर ध्यान दिया। इसके बाद परिवार को भूल गए।
कुंती सिंह का बच्चा सिंह पर सबसे बड़ा आरोप तो यही था कि जब उनका बड़ा बेटा राजीव रंजन सिंह लापता हुआ, तो उन्होंने कुछ नहीं किया। दरअसल, राजीव रंजन की मौत का चैप्टर अपने पीछे कई अनसुलझे सवाल छोड़ गया है। राजीव रंजन सिंह धनबाद के सबसे बड़े माफिया किंग का सबसे बड़ा वारिस था।
उसने अपने पिता की विरासत संभाली ही थी कि अचानक वह इस तरह लापता हो गया कि किसी को उसकी कोई खबर ही न मिली। धनबाद में कोई पत्ता भी खड़कता था तो उसकी सबसे पहली खबर माफिया किंग के आवास सिंह मैंशन तक पहुंचती थी, लेकिन जब इस सिंह मैंशन का सबसे बड़ा अगुआ अचानक लापता हुआ तो 20 साल में उसका एक निशान तक नहीं मिला। अगर उसकी मौत हुई तो कैसे हुई, कब हुई…. अगर हत्या हुई तो कैसे हुई, उसकी हत्या किसने कब और कहां की- ऐसे सवालों के जवाब आज तक नहीं मिले।
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