रांची : पारसनाथ पर्वत को व्यापार बना दिया गया है। पारसनाथ पर्वत को लेकर जो विवाद हुआ ये उन लोगों ने किया जो न तो पारसनाथ आए थे और न पारसनाथ को जानते हैं। रविवार को ये बातें जैन मुनि प्रसन्न सागर महाराज ने कहीं। वे रांची प्रेस क्लब के सभागार में आयोजित प्रेसवार्ता में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि पारसनाथ पर्वत किसी की बपौती नहीं है, ये जितना जैन धर्म का है उतना ही आदिवासियों का है। आदिवासियों और जैन धर्मावलंबियों के बीच चोली-दामन का संबंध है और पारसनाथ दोनों ही का तीर्थस्थल है। पारसनाथ पर्वत को लेकर विवाद इसलिए हुआ क्योंकि उसमें राजनीति घुस गयी है।
गंदी नाली से बदतर हो गयी है राजनीति
मुनिश्री ने कहा कि आज की राजनीति गंदी नाली से बदतर हो गयी है। लोग पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण कर रहे हैं, लोगों में लोकलाज खत्म हो रहा है। उन्होंने कहा कि हम पाश्चात्य संस्कृति के अंधकार में जा रहे हैं। आज भाई तो है पर भाईचारा मर रहा है।
वहीं मुनिश्री पीयूष सागर महाराज ने कहा कि वर्तमान में व्यक्ति जिह्वा पर कंट्रोल कर ले और उसका पेट ठीक रहे तो सब ठीक रहेगा। उन्होंने कहा कि आज हर व्यक्ति मोबाइल में उलझा हुआ है। जबकि उसका अटैचमेंट संस्कृति से होना चाहिए। आज का युग अर्थ का है और इस युग में अर्थ ही सर्वोपरि हो गया है।